खून का टीका सारांश
खून का टीका सारांश

Khoon Ka Tika

Khoon ka tika खून का टीका यादवेंद्र शर्मा चंद्र द्वारा लिखी गई। सम्पूर्ण उपन्यास याद करें बहुत ही सरल शब्दों में।

खून का टीका सारांश
खून का टीका सारांश

यादवेंद्र शर्मा चंद्र – खून का टीका Khoon Ka Tika (राणा हम्मीर के जीवन पर आधारित उपन्यास)

राजस्थान के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार एवं हिंदी भाषा में लिखने वाले राजस्थानी लेखकों में अग्रणी लेखक श्री यादवेन्द्र शर्मा ‘चंद्र’ का जन्म 1932 ई० में बीकानेर में तथा निधन 03 मार्च 2009 ई० को जयपुर में हुआ। राजस्थानी भाषा की पहली रंगीन फिल्म- ‘लाज राखो राणी सती’ की पटकथा यादवेन्द्र शर्मा द्वारा ही लिखी गई। इनके द्वारा राजस्थान की सामंती पृष्ठभूमि पर कई सशक्त उपन्यास लिखे गए।

प्रमुख कृतियाँ खून का टीका Khoon Ka Tika :

उपन्यास

  • ‘जनानी ड्योढ़ी’
  • ‘एक और मुख्यमंत्री’
  • ‘हजार घोड़ों पर सवार’
  • ‘देह गाथा माधवी की’
  • ‘खम्मा अन्नदाता’
  • ‘ढोलन कुंजकली’
  • ‘संन्यासी और सुंदरी’
  • ‘दीया जला दीया बुझा’
  • ‘कुर्सी गायब हो गई’
  • ‘अपराजिता’
  • ‘गुलाबडी’
  • ‘सपना’
  • ‘मोहभंग’ आदि ।

नाटक

  • ‘चुप हो जाए पीटर’
  • ‘जीमूत वाहन’
  • ‘ताश का घर’
  • ‘महाराजा शेखचिल्ली’
  • ‘मैं अश्वत्थामा’, चार अजूबे’
  • ‘आखिरी पड़ाव’
  • ‘महाबली बर्बरीक’ आदि ।

कहानी संग्रह

  • ‘मेरी प्रेम कहानियाँ’
  • ‘श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ’
  • ‘जमीन का टुकड़ा’
  • ‘जंजाल,महापुरुष’ आदि ।

पुरस्कार – कहानी – संकलन ‘जमारो’ के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 3 मार्च, 2009 को जयपुर में इनका निधन हो गया ।

खून का टीका Khoon Ka Tika पात्र परिचय

  1. राणा रत्न सिंह:-
  • सिसौदिया वंश के राजा
  • चित्तौड़ के शासक
  • एकलिंगेश्वर के दीवान
  1. लक्ष्मण सिंह ‘लाखा’ :-
  • राणा रत्न सिंह के विश्वास पात्र योद्धा
  • बारह पुत्रों के पिता
  • अपने पुत्रों को राजा पर न्यौछावर करने वाले ।
  • अरि सिंह व अजय सिंह के पिता
  1. अरसी (अरि सिंह ) :-
  • लाला के ज्येष्ठ पुत्र
  • हम्मीर के पिता
  • अलाउद्दीन के साथ युद्ध में वीर गति
  1. अजय सिंह :-
  • लाखा के दूसरे पुत्र
  • अरि सिंह के छोटे भाई
  • अहिंसा के पक्षधर
  • इनके दो पुत्र थे
  • अजीत सिंह व सुजान सिंह
  1. अलाउद्दीन खिलजी :-
  • 1303 ई. में चित्तौड़ पर आक्रमण
  • चित्तौड़ में केवल राख ही प्राप्त होती है।
  1. राणा हम्मीर :-
  • अरि सिंह व ग्राम बाला का पुत्र
  • मेवाड़ का शासक
  • योद्धा
  • मानवीय संवेदना से युक्त पराक्रमी योद्धा
  1. मालदेव:-
  • जालौर का शासक
  • जेसा व हरि सिंह के पिता
  • हम्मीर की पत्नी का पिता
  1. जेसा :-
  • मालदेव का बड़ा पुत्र
  • चित्तौड़ के युद्ध में अनंग सिंह को मौत के घाट उताने वाला ।
  • पराक्रमी योद्धा
  1. हरि सिंह :-
  • मालदेव का छोटा बेटा
  • युद्ध में हम्मीर द्वारा मारा जाता है।
  1. मूजा बालेचा:-
  • भील सरदार
  • जिसे हम्मीर मार देता है।
  1. पवनसी:-
  • हम्मीर का विश्वास पात्र
  • हम्मीर को जेसा के वार से बचाने वाला
  • चित्तौड़ का स्वामीभक्त
  1. खेत सी:-
  • पवनसी का छोटा भाई
  • हम्मीर का विश्वासपात्र योद्धा
  • हम्मीर की ‘टीका दौड़’ रस्म पूरी करने के लिए ‘सेलिया के बालेचा दुर्ग’ विजय के दौरान वीरगति को प्राप्त होता है।
  1. शेरा-मेरा:-
  • खेत सी के विश्वास पात्र
  • दो भाई
  • ‘शेरा’ टीका-दौड़’ वीरगति प्राप्त करता है ।
  1. अनंग सिंह:-
  • हम्मीर का समर्थक
  • क्रुर जागीरदार
  • महाबली योद्धा
  • चित्तौड़ युद्ध में मालदेव के बड़े बेटे जेसा से मारा जाता है।
  • जीवन सिंह का पिता
  1. जीवन सिंह :-
  • अनंग सिंह का बेटा
  1. अजती सिंह:-
  • अजय सिंह का पुत्र
  • पिता अजय सिंह द्वारा भतीजे हम्मीर को राणा बनाने पर घुट-घुट कर मर गया ।
  1. सुजान सिंह :-
  • अजय सिंह का पुत्र
  • पिता से नाराज दक्षिण में जाकर नये वंश की नींव डाली।
  • इसी वंश में आगे चलकर वीर शिवाजी का जन्म हुआ था ।
  1. चारण अमरदान :-
  • अहिंसा का समर्थक
  • शांतिप्रिय कवि - राणा हम्मीर का राज कवि
  1. बरवड़ी:-
  • आगत- अनागत सभी की ज्ञाता
  • हम्मीर को चित्तौड़ विजय के लिए प्रेरित करने वाली देवी ।
    -‘बारू’ की माता - ‘बारू’ को 500 घोड़े देकर हम्मीर के साथ भेजा
  1. बारू :-
  • बरवड़ी का पुत्र
  • पराक्रमी योद्धा
  • 500 घोड़े लेकर हम्मीर का साथ देता है ।
  1. कामदार मौजीराम :-
  • मालदेव का विश्वास पात्र
  • कुशाग्र बुद्धि, चतुर कुटनीतिज्ञ
  • दहेज के रूप में राणा हम्मीर को प्राप्त होता है ।
    -चित्तौड़ विजय में राणा हम्मीर का सबसे अधिक साथ देता है।
    -चित्तौड़ के द्वारपालों को उत्कोच देकर अपनी तरफ करता है जिससे हम्मीर की सेना चित्तौड़ पर कब्जा कर लेती है।
  1. दीपचंद :-
  • राजपुरोहित का पुत्र
  • हम्मीर का गुप्तचर
  1. बांका :-
  • भील नेता
  • हम्मीर को लोहे का सुंदर धनुष-बाण दिया ।
  1. महीप सिंह
  • देशद्रोही
  • हम्मीर के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहा था।
  • अनंग सिंह ने मौत के घाट उतार दिया था ।
  1. ग्रामबाला :-
  • अरि सिंह की पत्नी
  • हम्मीर की माँ
  • चंदानी राजपूत
  • अतुल सौन्दर्य की स्वामिनी
  1. बरड़ी :-
  • हम्मीर राणी की दासी
  • हम्मीर को कुँवर होने का संदेश देकर उपहार स्वरूप कंगना प्राप्त किया ।

सारांश खून का टीका Khoon Ka Tika

  • अरिसिंह गाँव में शिकार खेलने जाता है वहीं एक ग्राम बाला पर वे मोहित हो जाते हैं और उसके विवाह कर लेते है । अरि सिंह युद्ध में वीरगति प्राप्त करता है। चित्तौड़ में सभी मारे जाते हैं। अरि सिंह का छोटा भाई बचकर जंगलों में रहने लग जाता है । इधर ग्रामबाला एक वीर पुत्र को जन्म देती है । बालक बड़ा होकर राणा हम्मीर बनता है ।
  • हम्मीर अपनी विधवा माता देवी के सरंक्षण में ऊनवाँ गाँव में रहता है । वहाँ सभी युद्ध कलाओं में निपुणता हासिल करता है।
  • हम्मीर कहता है- मैं अपने पूर्वजों का गिन-गिन कर बदला लूँगा, मैं चित्तौड़ को मुक्त करवाकर ही दम लूँगा ।
  • हम्मीर के चाचा अजय सिंह भी जंगलों में ही रह रहे थे वहाँ उन्हें एक भील सरदार मूँज बालेचा बहुत तंग कर रहा था ।
  • हम्मीर मूँजा बालेचा को मार देता है इससे खुश होकर अजयसिंह उसे चित्तौड़ का राणा घोषित कर देता है ।
  • राण घोषित होने पर एक ‘टीका दौड़’ की रस्म अदा करनी होती है जिसमें राणा अपने पड़ौसी शत्रु पर आक्रमण करता है।
  • हम्मीर ‘टीका दौड़’ की रस्म पूरी करने के लिए ‘गूँजा बालेचा’ के साथियों का आश्रय स्थल सेलिया का बालेचा दुर्ग हासिल करना चाहता है ।
  • हम्मीर, पवनसी, पवनसी के छोटे भाई खेतसी के दो भील सेवक शेरा और मेरा की खेतसी सहायता से विजय प्राप्त करता है ।
  • इस युद्ध में शेरा और खेतसी वीरगति प्राप्त करते हैं ।
  • अब उसने निर्णय लिया कि वह चित्तौड़ पर आक्रमण करेगा । चाचा अजय सिंह के मना करने पर वह कहता है- ” पहाड़ी चूहों की भाँति जीवन निर्वाह करने से अच्छा है कि एक दिन सम्मान की मृत्यु पा जाये।”
  • हम्मीर का साथ अनंग सिंह देता है जो कहता है कि ” जो राजपूत युद्ध के बिना रहता है वह अवश्य वर्णसंकर होता है । “
  • चित्तौड़ के इस युद्ध में मालदेव ने हम्मीर को हरा दिया।
  • चित्तौड़ हारने के बाद हम्मीर निराश हो गया ओर वह निराश होकर चित्तौड़ छोड़कर चला जाता है ।
  • चलते-चलते गुजरात के खोड़ गाँव में वह देवी बरबड़ी के दर्शन करता है, जो आगत, अनागत सब जानती है ।
  • बरबड़ी कहती है- ” राणाजी आप निराश हो उठे हैं युग युग से जय पराजय के खेल इस आँगन में होते आए हैं। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि मनुष्य नाश के परीणाम से परिचित होकर कर्म को छोड़ दे।“
  • बरबड़ी कहती है कि “अब चित्तौड़ लौट जाओ। आपको विवाह का निमंत्रण आएगा । उसे स्वीकार कर लेना । उस लड़की का आगमन ही आपकी विजय का आधार होगा ।
  • वह कहती है कि जब आवश्यकता हो मुझे सूचना देना मैं 500 घोड़े और अपने बेटे ‘बारू’ को तुम्हारी सहायता के लिए भेज दूँगी ।
  • चित्तौड़ पहुँचते ही एक घटना होती है- मालवेद सोनकर ने अपनी पुत्री के विवाह का नारियल हम्मीर को भेजा ।
  • हम्मीर इसे स्वीकार करता है साथियों के मना करने पर वह उन्हें खोड़ गाँव की पूरी कहानी सुनाता है।
  • हम्मीर पूरी तैयारी के साथ चित्तौड़ पहुँचता है । छद्म रूप से ‘बारू’ व उसके 500 घोड़े भी साथ रहते है ।
  • मालदेव विवाह के बहाने हम्मीर को मारना चाहता था लेकिन हम्मीर की सेना व व्यवस्था देखकर घबरा जाता है ।
  • मालदेव अपने सलाहकार मौजीराम के पास जाता है। वह कहता है कि हम इस स्थिति में युद्ध तो नहीं कर सकते यदि युद्ध किया तो पराजय निश्चित है ऐसी स्थिति में एक उपाय है हम यह बात फैला देते है कि राजकुमारी बाल-विधवा है । सिसोदिया राजकुमार किसी भी स्थिति में उससे विवाह नहीं करेंगे और खाली हाथ लौट जायेंगें ।
  • हम्मीर को माँ बरबड़ी की बात याद होती है वह विवाह कर लेता है।
  • हम्मीर दहेज में ‘कामदार मौजीराज’ को मालदेव के खिलाफ भड़काता रहता है। अब वह भी यहीं चाहती है कि उससे पति चित्तौड़ पर विजय प्राप्त करे । हम्मीर एक योजना बनाता है इस योजना में वह अनंग सिंह के बेटे जीवन सिंह द्वारा मालदेव के बेटे जेसा के लूटे हुए दो ढाई रुपये वापस लौटाने का निर्णय लेता है। वह किसी तरह जेसा को विश्वास में लाना चाहता था।
  • हम्मी पवनसी व मौजीराम को धन देकर जेसा के पास भेजता है । वह दोनों वहाँ काफी दिन रूकते हैं और जेसा को विश्वास में लाते हैं ।
  • फिर हम्मीर एक चाल और चलता है और अपनी रानी को कहता है कि- तुम अपने भाई जेसा का पत्र लिखो कि – ” मैं नवजात शिशु को लेकर चित्तौड़ आना चाहती हूँ। शिशु पर कुल देवताका दोष है । अत: गढ़ देवता का पूजन करना जरूरी है।
  • हम्मीर रानी व कामदार मौजीराज को यह कहकर चित्तौड़ भेज देता है कि “तुम्हें मुख्य द्वारपालों को उत्कोच देकर अपने पक्ष में करना होगा। यदि यह काम हो गया तो तुम्हारी प्रतिष्ठा महारानी पद्मिनी के समकक्ष हो जाएगी।
  • रानी ने वहाँ जाकर अपने भाइयों को अपने पक्ष में ले लिया और उन्हें विश्वास दिलाया कि हम्मीर के पास युद्ध करने केलिए न ही तो हथियार है और न ही योद्धा ।
  • पवनसी का पुत्र जैतसी संदेश लेकर आया कि रानी ने हम्मीर की विजय के सभी उपाय प्रारम्भ कर दिए है । कामदा मौजीराज ने द्वारपालों को धनादि देकर अपने पक्ष में कर लिया था ।
  • युद्ध प्रारम्भ हुआ राणा हम्मीर ने सेना को तीन टुकड़ी में विभाजित किया-
    • पहली – अनंग सिंह के अधीन
    • दूसरी – मेरा के अधीन (भील योद्धा )
    • तीसरी – जेतसी के अधीन (पवनसी का पुत्र )
    • राणा हम्मीर उस दुवड़ी का नेतृत्व करेंगे जो सबसे पहले चित्तौड़ में प्रवेश करेगी ।
  • ‘पाड़नपोल’ के निकट भंयकर युद्ध हुआ।
  • युद्ध में मालदेव के पुत्र जेसा द्वारा अनंग सिंह मारा गया ।
  • हम्मीर ने हनुमान के चिह्न वाला लाल झण्डा चित्तौड़ पर लहरा दिया ।
  • अनंग से पुत्र को गढ़ का मुख्य रक्षक नियुक्त किया गया ।
  • पवनसी, मेरा और बारू को राज सम्मान प्रदान किया गया ।
  • कामदार मौजीराम ने इस विजय का सारा श्रेय रानी को देते हुए उसे पद्मिनी सम्मान बताया ।
  • पुरोहितों ने इसका विरोध किया उन्होंने कहा कि रानी बाल विधवा है यह पद्मिनी के समान कैसे हो सकती है।
  • तब कामदार मौजीराम ने रहस्य से पर्दा उठाते हुए सारी कहानी सुनाकर बताया कि रानी के बाल विधवा होने को कहानी असत्य है ।
  • उधर जेसा मुहम्मद तुगलक की सेना के साथ युद्ध लड़ने आ गया।
  • सीगोली में दोनों सेनाओं में भंयकर युद्ध हुआ ।
  • जेसा ने हम्मीर से कहा- “छल से चित्तौड़ हथियार आपने समझा होगा, अब हम चैन की बंशी बजाएँगे ? पर चित्तौड़ चौहान मालदेव का है, मालदेव का ही रहेगा।“
  • युद्ध में हम्मीर और बादशाह लड़ रहे थे तभी जेसा ने हम्मीर पर पीछे से वार करना चाहा लेकिन उसे पवनसी ने रोक लिया।
  • हम्मीर ने मालदेव के छोटे-बेटे हरिसिंह को मार दिया ।
  • पवनसी ने जेसा को पकड़ लिया।
  • हम्मीर ने बादशाह को जिन्दा पकड़ लिया।
  • दोनों को कारावास में डाल दिया गया ।
  • मुहम्मद तुगलक को पचास लाख नगद, कुछ आय वाली रियासतें लेकर छोड़ दिया गया।
  • जेसा के अनुनय विनय करने पर ” मैं आपका सेवक रहुँगा मुझे।
  • छोड़ दीजिए। राणा जी मैं आपकी गाय हूँ ।” ( जेसा )
  • “मैं सौगंध खाता हूँ जहाँ मेवाड़ियों का पसीना बहेगा वहाँ मेरा खून बहेगा । ” ( जेसा )
  • हम्मीर ने जेसा को नीमच, जेतारण और रतनपुर गाँव देकर छोड़ दिया ।
  • हम्मीर ने जेसा को नीमच, जेतारण और रतनपुर गाँव देकर छोड़ दिया ।
    • चारों तरफ जय-जयकार होने लगी
    • राणा हम्मीर की जय
    • एकलिंगेश्वर की जय
    • विषम घाटी पंचानन की जय

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