डॉ. नगेन्द्र प्रश्नोत्तरी SET-03 (NET,SET,TGT,PGT,Hindi) Special

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काल विभाजन

  1. आदिकाल – सातवीं शती के मध्य से चौदहवी शती के मध्य तक
  2. भक्तिकाल – चौदहवीं शती के मध्य से सत्रहवी शती के मध्य तक
  3. रीतिकाल – सत्रहवी शती के मध्य से उन्नीसवी शती के मध्य तक
  4. आधुनिक काल – उन्नीसवीं शती के मध्य से अब तक
    1. पुनर्जागरण काल (भारतेन्दु काल ) – 1857-1900 ई.
    2. जागरण सुधार काल ( द्विवेदी काल ) – 1900-1918 ई.
    3. छायावाद काल – -1918-1938 .
    4. छायावादोत्तर काल
      (क) प्रगति – प्रयोगकाल- 1938-1953 ई.
      (ख) नवलेखन काल- 1953 ई. में अब तक

1. ” उत्तर अपभ्रंश ही पुरानी हिन्दी है । “
यह कहने वाले प्रथम विद्वान कौन थे ?

(अ) चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
(ब) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(स) डॉ. नगेन्द्र
(द) डॉ. बच्चन सिंह
उत्तर – (अ) चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
विशेष :-
डॉ. भोलाशंकर व्यास ने हिन्दी के आरंभिक रूप को ‘अवहट्ठ’ कहा है, और यही अधिक समीचीन है, क्योंकि जिसे कुछ विद्वान ‘अवहट्ठ कहना चाहते है, वहीं अपभ्रंश का ऐसा रूप है, जिसमें हिन्दी की सभी आरंभिक प्रवृत्तियाँ एक साथ मिलती हैं। तथा साहित्यिक अपभ्रंश से जिसका गहरा विद्रोह भी झलकता है | अतः हिन्दी साहित्य के आदिकाल की सामग्री में ‘उत्तर अपभ्रंश’ की सभी रचनाएँ आ जाती हैं। उन्हें हिन्दी साहित्य से निकाल कर अपभ्रंश के साहित्य में स्थान देना या ‘अवहटठ्’ का नया इतिहास खड़ा करना उचित नहीं है। अगर हम ‘सिद्धनाथ – साहित्य’ को हिन्दी साहित्य से हटाकर अपभ्रंश साहित्य में रख दे तो फिर हिन्दी का समस्त भक्ति साहित्य ‘जड़’ और ‘तने’ से कटे वृक्ष की तरह निराधार हो जाएगा।

2. डॉ. नगेन्द्र ने ‘प्रगति- प्रयोगकाल’ की समय-सीमा मानी है ?
(अ) 1918 ई. – 1938 ई.
(ब) 1918 ई. से 1936 ई.
(स) 1938 ई. – 1953 ई.
(द) 1936 ई.- 1951 ई.
उत्तर – (स) 1938 ई. – 1953 ई.

3. ‘हिन्दी के प्राचीन कवि और उनकी कविताएँ’ लेख किनका है ?
(अ) राहुल सांस्कृत्यायन
(ब) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(स) रामकुमार वर्मा
(द) परशुराम चतुर्वेदी
उत्तर- (अ)राहुल सांस्कृत्यायन ।

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4. डॉ. शिवसिंह सेंगर ने हिन्दी का प्रथम कवि किसे माना है ?
(अ) पुष्य या पुण्ड को
(ब) सरहपाद को
(स) गोरखनाथ को
(द) शालिभद्र सूरि
उत्तर – (अ) पुष्य या पुण्ड को

5. राहुल जी ने हिन्दी का प्रथम कवि किसे माना है ?
(अ) सहरपाद
(ब) गोरखनाथ
(स) स्वयंभू
(द) देवसेन
उत्तर- (अ) सहरपाद

6. ‘सरहपाद’ को सभी दृष्टियों से हिन्दी का प्रथम कवि किसे माना है ?
(अ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ब) राहुल सांस्कृत्यायन
(स) डॉ. नगेन्द्र
(द) शालिभद्र सूरि
उत्तर- (स) डॉ. नगेन्द्र

विशेष :-

प्रथम कवि

01. राहुल सांस्कृत्यायन – सरहपाद

02. गणपति चन्द्र गुप्त – शालिभद्र सूरी

03. डॉ. शिव सिंह सेंगर – पुष्य या पुण्ड

04. मिश्र बंधु – गोरखनाथ

05. रामकुमार वर्मा –  स्वयंभू

06. हजारीप्रसाद द्विवेदी – अब्दुर्रहमान

07. बच्चन सिंह – विद्यापति

08. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल – मुंज कवि

09. चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ – राजा मुंज

10. डॉ. वासुदेव सिंह – योगिन्दू मुनि

11. डॉ. रामगोपाल शर्मा ‘दिनेश – सरहपा

12. सर्वसम्मति से – सरहपा

13. सर्वसम्मति से रचना – श्रावकाचार

7. ” घोर अंधारे चन्द्रमणि जिमि उज्जोअ करेई ।
परम महासुह ऐखु कण, दुरिअ अशेष हरेई ।। “
उपर्युक्त कथन किस कवि का माना है ?

(अ) सरहपाद
(ब) शालिभद्र सूरि
(स) विजयसेन सूरि
(द) कण्हपा
उत्तर- (अ) सरहपाद
विशेष :-
पण्डि सअल संत बक्खाण्ड,
देहहि रुद्र बसंत न जाणइ । सरहपा

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8. ” उपनूं ए केवल नाण तर विरहइ रिसहे सिउ ए ।
आविउ ए भरह नरिन्द सिउं अवधापुरि ए ।।”
उपर्युक्त कथन किस कवि का माना है ?

(अ) सरहपाद
(ब) शालिभद्र सूरि
(स) पुष्पदंत
(द) जिनधर्म सूरि
उत्तर – (ब) शालिभद्र सूरि
विशेष :-
“तं जि पहिय पिक्खेविणु पिअ उक्कखिरिय
मन्थर गय सरलाइवि उत्तावलि चलिय ।” शालिभद्र सूरि

9. ‘जह मन पवन न संचरइ, रवि शाशि नाह पवेश ।
तहि वट चित्त विसाम करु, सरहे कहिअ उवेश ।।

(अ) सरहपाद
(ब) शालिभद्र सूरि
(स) लूइपा
(द) डोम्पिया
उत्तर- (अ) सरहपाद
विशेष:-
‘पण्डिअ सअल सत्थ बक्खाण्इ ।
देहहि बुद्ध बसन्त न जाणइ ।।” सरहपाद

10. हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल-विभाजन करने वाले प्रथम इतिहासकार किसे माना गया है ?
(अ) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(ब) गार्सा द तासी
(स) डॉ. बच्चन सिंह
(द) डॉ. ग्रियर्सन
उत्तर- (द) डॉ. ग्रियर्सन

11. राहुल सांस्कृत्यायन ने सरहपाद का समय माना है ?
(अ) 769 ई.
(ब) 773 ई.
(स) 780 ई.
(द) 840 ई.
उत्तर- (अ) 769 ई.
विशेष :-
डॉ. विनयतोष भट्टयाचार्य ने 633 ई. माना है ।

12. प्रथम बार किस साहित्यक ग्रन्थ में कालक्रम का ध्यान रखा गया ?
(अ) इस्तवार द ला लित्रेत्युर ऐंदुई ऐंदुस्तानी
(ब) द मॉर्डन वर्नाक्लुर लिटरेचर ऑफ हिन्दुस्तान
(स) शिव सिंह सरोज
(द) तजकिरा ई- शुअराई – हिन्दी
उत्तर- (द) तजकिरा ई- शुअराई – हिन्दी
विशेष :-

– “तासी’ के पश्चात मौलवी करीमुद्दीन ने ‘तजकिरा – ई- शुअराई हिन्दी’ नामक इतिहास लिखा जिसमें प्रथम बार कालक्रम का तो
ध्यान रखा गया, किन्तु कालविभाजन और नामकरण की कोई चेष्टा नहीं की गयी ।

– कालविभाजन करके नामकरण करने वाले प्रथम इतिहासकार डॉ. ग्रियर्सन ही है ।

13. कवि स्वयंभू कहाँ के निवासी थे ?
(अ) उत्तर प्रदेश
(ब) बिहार
(स) गुजरात
(द) कर्नाटक
उत्तर- (द) कर्नाटक
विशेष :-
कवि स्वयंभू 783 ई. के लगभग विद्यमान थे ।

14. कवि स्वयंभू की कौनसी रचना अपूर्ण रह गयी थी ?
(अ) रिट्ठणेमिचरिउ
(ब) स्वयंभूछंद
(स) पउमचरिउ
(द) पंचमी चरिउ
उत्तर- (स) पउमचरिउ

विशेष :-

स्वयंभू की रचनाएँ

1. पउम चरिउ-

2. रिट्ठणेमि चरिउ

3. स्वयंभू छन्द

4. हरिवंश पुराण

5. पंचमि चरिउ

– ‘स्वयंभू’ ने स्वयं को ‘कुकवि’ कहा है।

– अपभ्रंश के वाल्मीकि

– आदिकाल के वाल्मीकि

– डॉ. भयाणी व भोलाशंकर व्यास ने स्वयंभू को ‘अपभ्रंश का कालिदास’ कहा है।

स्वयंभू ने स्वयं को- ‘कविकुल तिलक’

– ‘काव्य रत्नाकार’ व ‘सरस्वती निलय’ की उपाधियाँ दी।

– ‘पउम चरिउ’ को जैनी रामायण भी कहा जाता है। इसमें पाँच काण्ड है।

– ‘पउम चरिउ’ में पद्धड़िया छन्द का प्रयोग हुआ है।

– ‘पउम चरिउ’ में वीर, श्रृंगार, करुण और शांत रस का प्रयोग हुआ है ।

नोट:-

नगेन्द्र अनुसार अपभ्रंश के कवि व उनकी रचनाएँ

1. स्वयंभू – पउम चरिउ, रिट्ठणेमिचरिउ, स्वयंभू छंद

2. पुष्पदंत – महापुराण, ण्यकुमार चरिउ, जसहर चरिउ

3. धनपाल – भविष्यत कहा

4. अब्दुल रहमान – संदेश रासक

5. जिनदत्त सूरि – उपदेश रसायन रास

6. जोइन्दु – परमात्म प्रकाश

7. रामसिंह – पाहुडु दोहा

15. पुष्पदंत किस शताब्दी के माने जाते है ?

(अ) आठवीं

(ब) दसवीं

(स) बारहवीं

(द) चौहदवीं

उत्तर- (ब) दसवीं

विशेष :-

– ‘पुष्पदंत’ प्रारम्भ में शैव थे, किन्तु अपने आश्रयदाता के अनुरोध से जैन हो गये।

– ‘महापुराण’ में 63 महापुरुषों की जीवन घटनाओं का वर्णन है ।

– प्रसंगवश ‘महापुराण’ में रामकथा का भी वर्णन है ।

 अन्य:-

– ‘महापुराण’ – 102 संधियों में लिखा गया है।

– ‘ण्यकुमार चरिउ’- नौ संधियों में लिखा गया है।

– ‘जसहर चरिउ’- चार संधियों में लिखा गया है।

– ‘पुष्पदंत’ स्वयं को ‘ अभिमान मेरु’ कहते थे ।

– ‘पुष्पदंत’ अपभ्रंश के भवभूति व व्यास’ कहे जाते हैं ।

– ‘अपभ्रंश का भवभूति’ शिवसिंह सेंगर ने कहा है ।

– पुष्पदंत ने ‘महापुराण’ के ‘आदिपुराण’ खण्ड में तीर्थंकर ऋषभदेव, तेईस तीर्थंकरों तथा उनके समकालीन महापुरुषों का चरित है।

– ‘उत्तरपुराण’ खण्ड में ‘रामायण’ और ‘हरिवंश पुराण’ (महाभारत) है ।

हिंदी साहित्य का इतिहास आदिकाल प्रश्नोत्तरी SET-02 – Click Here

16. ‘भविसयत्तकहा’ के रचनाकार है ?

(अ) धनपाल

(ब) जोइन्दू

(स) रामसिंह

(द) रेवंतगिरी

उत्तर- (अ) धनपाल

17. अपभ्रंश प्रभावित हिन्दी रचना है ?

(अ) राउलवेल

(ब) चंदनबालारास

(स) वसंत विलास

(द) खुमाणरासो

उत्तर- (अ) राउलवेल

18. अपभ्रंश प्रभाव से मुक्त हिन्दी रचना है ?

(अ) श्रावकाचार

(ब) जयचन्द्रप्रकाश

(स) हम्मीररासो

(द)वर्णरत्नाकार

उत्तर- (ब) जयचन्द्रप्रकाश

विशेष:-

आदिकाल हिन्दी साहित्य की रचनाओं को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

1. अपभ्रंश प्रभावित हिन्दी रचनाएँ-

        1. सिद्ध साहित्य     2. श्रावकाचार

        3. नाथ साहित्य     4. राउलवेल

       5. उक्ति व्यक्ति प्रकरण   6. भरतेश्वर बाहुबलि रास

       7. हम्मीर रासो            8. वर्णरत्नाकर

2. अपभ्रंश प्रभाव से मुक्त हिन्दी रचनाएँ-

1. खुमाण रासो                2. ढोला मारु रा दोहा

3. बीसलदेव रासो            4. पृथ्वीराज रासो

5. परमाल रासो               6. जयचन्द्र प्रकाश

7. जयमयंक जस-चंद्रिका

8. चंदनबालारास             9. स्थूलिभद्र रास

10. रेवंत गिरिरास             11. नेमिनाथ रास

12. वसंत विलास             13. खुसरो की पहेलियाँ

नोट:- उपर्युक्त रचनाओं में निम्न रचनाओं की प्रामाणिकता संदिग्ध रही है-

1. हम्मीर रासो

2. खुमाण रासो

3. बीसलदेव रासो

4. परमाल रासो

5. पृथ्वीराज रासो

19. वे प्रमुख सिद्ध जो जाति से ब्राह्मण नहीं थे ?

(अ) सरहपा

(ब) कण्हपा

(स) लुइपा

(द) कुक्कुरिपा

उत्तर- (स) लुइपा

विशेष :-

क्र.स        कवि नाम      जन्म         जाति       रचना संख्या       रचना नाम

1                 स           769 ई.      बा                32            दोहा कोश

2                 लू           773 ई.     का –               –           लूईपाद गीतिका

3.                श           780 ई.      क्ष –               –             चर्यापद

4                 डो           840 ई.     क्ष –                21        योगचर्या, डोम्बगीतिका, अक्षरा  द्विकोपदेश

5.                क           843 ई.     बा –                74        पाहुड़ दोहा, गीतिका

6.                कू             –            –  –                16               ——

                   नू             –            – –                     –

20. आसगु कवि द्वारा 1200 ई. में रचित ‘चन्दनबालारास’ कितने छंदों का खण्डकाव्य है ?

(अ) 35

(ब) 250

(स) 85

(द) 80

उत्तर- (अ) 35

विशेष :-

– ‘चंदनबालारास’ की रचना आसुग ने 1200 ई. में जालौर मे की थी ।

– कथा – नायिका – चंदनबाला चंपा नगरी के राजा दधिवाहन की पुत्री थी।

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